अक्षय तृतीया पर ये उपाय करने से मनोकामना होगी पूरी, मिलेगा धन लाभ

डॉ श्रद्धा सोनी, वैदिक ज्योतिषाचार्य, रतन विशेषज्ञ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि बहुत ही खास है क्योंकि इस दिन अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है। इस बार अक्षय तृतीया का पर्व 26 अप्रैल, रविवार को है।

मान्यता है कि इस दिन किए गए उपाय शीघ्र ही शुभ फल प्रदान करते हैं। आज हम आपको अक्षय तृतीया पर किए जाने वाले कुछ खास उपाय बता रहे हैं। इन उपायों को विधि-विधान पूर्वक करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। 26 अप्रैल 2020 रविवार को अक्षय तृतीया को, धन लाभ के लिए करें ये आसान उपाय

धन लाभ के लिए उपाय
अक्षय तृतीया की रात साधक (उपाय करने वाला) शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करें और एक आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब अपने सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से नीचे लिखे मंत्र का 21 माला जप करें। मंत्र जप के बीच उठे नहीं, चाहे घुंघरुओं की आवाज सुनाई दे या साक्षात लक्ष्मीजी ही दिखाई दे।
मंत्र – ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्
इस उपाय को विधि-विधान पूर्वक संपन्न करने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न हो सकती हैं और साधक की धन संबंधी समस्या दूर कर सकती हैं।

धन लाभ के लिए उपाय
अक्षय तृतीया की रात करीब 10 बजे नहाकर साफ पीले रंग के कपड़े पहन लें। इसके उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं। अब अपने सामने पटिए (बाजोट या चौकी) पर एक थाली में केसर का स्वस्तिक या ऊं बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद उसके सामने एक शंख थाली में स्थापित करें।
अब थोड़े से चावल को केसर में रंगकर शंख में डालें। घी का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र का कमल गट्टे की माला से 11 माला जप करें-
मंत्र- सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।
मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।

मंत्र जप के बाद इस पूरी पूजन सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। इस प्रयोग से आपको धन लाभ होने की संभावना बन सकती है।

ग्रहों का अशुभ प्रभाव कम करने का उपाय
यदि आपकी जन्म कुंडली में स्थित ग्रह आपके जीवन पर अशुभ प्रभाव डाल रहे हैं तो इसके लिए उपाय भी अक्षय तृतीया से प्रारंभ किया जा सकता है।
उपाय
अक्षय तृतीया की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के बर्तन में शुद्ध जल लेकर भगवान सूर्य को पूर्व की ओर मुख करके चढ़ाएं तथा इस मंत्र का जप करें-
ऊँ भास्कराय विग्रहे महातेजाय धीमहि, तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।
यह उपाय रोज करें। इस उपाय से ग्रहों का अशुभ प्रभाव कम हो सकता है और आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। अगर यह उपाय सूर्योदय के एक घंटे के भीतर किया जाए तो और भी शीघ्र फल देता है।

समस्याओं के निदान के लिए उपाय
अक्षय तृतीया पर अपने सामने सात गोमती चक्र और महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें और सात तेल के दीपक लगाएं। यह सब एक ही थाली में करें और यह थाली अपने सामने रखें और शंख की माला से इस मंत्र की 51 माला जप करें-
मंत्र- हुं हुं हुं श्रीं श्रीं ब्रं ब्रं फट्
अक्षय तृतीया के दिन यह उपाय करने से समस्याओं का निदान संभव है।

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उपाय
अक्षय तृतीया की रात को अकेले में लाल वस्त्र पहन कर बैठें। सामने दस लक्ष्मीकारक कौड़ियां पीले रंग की रखकर एक बड़ा तेल का दीपक जला लें और प्रत्येक कौड़ी को सिंदूर से रंग कर हकीक की माला से इस मंत्र का पांच माला जप करें-
मंत्र- ऊं ह्रीं श्रीं श्रियै फट्
इस प्रयोग से धन की देवी लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और उसके जीवन में फिर कभी धन की कमी नहीं होती।

ससुराल मे कोई तकलीफ
किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें. उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें..भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाए, दूध रोटी खा लें. शुक्ल पक्ष की तृतीया को. अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उसको ऐसा उपवास रखें.

नमक बिना का भोजन(दूध रोटी) , एक बार खाए बस. अगर किसी बहन से वो भी नहीं हो सकता पूरे साल का तो केवल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया, वैशाख शुक्ल तृतीया और भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया जरुर ऐसे ३ तृतीया का उपवास जरुर करें. नमक बिना का भोजन करें. जरुर लाभ होगा.

ऐसा व्रत वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधती ने किया था. ऐसा आहार नमक बिना का भोजन. वशिष्ठ और अरुंधती का वैवाहिक जीवन इतना सुंदर था कि आज भी सप्त ऋषियों में से वशिष्ठ जी का तारा होता है, उनके साथ अरुंधती का तारा होता है. आज भी आकाश में रात को हम उन का दर्शन करते हैं.

शास्त्रों के अनुसार शादी होती तो उनका दर्शन करते हैं. जो जानकार पंडित होता है वो बोलता है…शादी के समय वर-वधु को अरुंधती का तारा दिखाया जाता है और प्रार्थना करते हैं कि , “जैसा वशिष्ठ जी और अरुंधती का साथ रहा ऐसा हम दोनों पति पत्नी का साथ रहेगा. ऐसा नियम है.

चन्द्रमा की पत्नी ने इस व्रत के द्वारा चन्द्रमा की यानी 27 पत्नियों में से प्रधान हुई. चन्द्रमा की पत्नी ने तृतीया के व्रत के द्वारा ही वो स्थान प्राप्त किया था. तो अगर किसी सुहागन बहन को कोई तकलीफ है तो ये व्रत करें. उस दिन गाय को चंदन से तिलक करें. कुम-कुम का तिलक ख़ुद को भी करें उत्तर दिशा में मुख करके. उस दिन गाय को भी रोटी गुड़ खिलाये.

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